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अमानव ( स १ - एपिसोड 4) - शैतानो का आमुख

मयंक और निखिल पहाड़ी पर बैठे थे :


नितेश : मयंक....निखिल यह क्यों बैठे हो ?

 (उसने थोड़ी देर आवाज़ दी , नितेश  कुछ सोचते हुए उनके पास गया , और उन् दोनो को झिंझोड़ा )

मयंक और निखिल ( एक साथ ) : हाँ क्या  हुआ ?

नितेश : यहां क्यों बैठे हो चलो सब के साथ बैठो।

तभी एक शोर : 

एक भीड़ में कुछ लड़के एक छोटे लड़के को मार रहे थे।

छोटा लड़का : मुझे माफ कर दीजिए मत मारिए मुझे।
एक लड़का : और ज्यादा मुंह चलाएगा जानता है हम कौन हैं।

दूसरा लड़का:  मारो इसे हमें दारु लाने के लिए मना करेगा।

खड़े वहां तमाशा देख रहे थे कोई रोक नहीं रहा था तभी एक भयानक से आवाज आई सबका ध्यान उस आवाज की तरफ गया सबकी आंखें फटी की फटी रह गई पीछे एक आदम रूपी भेड़िया खड़ा था। उसके दांत बड़े बड़े मुकीले थे आंखें एकदम लाल डरावनी थी उसने चांद की तरफ देखा और गरजा उसकी आवाज सुनकर सब ने डरकर कान बंद कर लिए वहां का वातावरण इतना दहशत से भरा हुआ था कि सब बुत बन बैठे थे आज पूर्णिमा की रात थी वह आवाज और भी डरावनी लग रही थी।

एकदम वह मानव भेड़िया उन लड़कों पर जब तक अपने निकले दातों से वह सब को काटने फाड़ने लगा उन लड़कों ने भागने की कोशिश करी पर वह मानव भेड़िया सबको अपने नुकीले दांतो से शरीर के एक एक हिस्से को निकाल रहा था पूरा माहौल रक्त में हो गया था सभी 5 लड़कों ने दम तोड़ दिया था उनके चेहरे के अलावा उनका पूरा शरीर फट चुका था दिल , अंतड़िया सभी शारीरिक अंग जगह-जगह पड़े हुए थे सब के मरते ही वह मानव भेड़िया पहाड़ी की ओर भाग गया।

थोड़ी देर में पुलिस आई हुई शिनाख्त के लिए शरीर में कुछ बचा ही ना था आसपास के होटल से पता करने पर उनके चेहरों से पहचान करी गई तो पता चला कि यह लोग भारत से घूमने आए थे।


अमानव ( स १ - एपिसोड 4) - शैतानो का आमुख

इ. चितरू : कॉन्स्टेबल पता करके इंडिया के किसी ऑफिसर से मेरी बात कराओ।

कॉन्स्टेबल:  ठीक है सर

इधर होटल में : 

नितेश : मयंक...... निखिल कहां गया?
मयंक:  पता नहीं यार
नितेश ( चिंतित आवाज में): ओफ्फ ..... बाहर इतना बड़ा कांड हो गया और यह लड़का पता नहीं कहां घूम रहा है।

मयंक:  चिंता मत कर आ जाएगा।

तभी दरवाजा खुलता है...... निखिल अंदर आता है।

नितेश (चिल्लाते  हुए): कहां गया था पता है बाहर क्या हुआ।

निखिल चुप रहा

नितेश: बोल क्यों नहीं रहा?
निखिल :क्या हुआ?
नितेश:  बाहर किसी अजीब से जानवर में कुछ लोगों को मार डाला।

निखिल:  ठीक है होगा कोई मुझे सोने दे अब.....

निखिल अपने बेड पर लेट गया नितेश बेचैन था उसने मयंक को फिर से झिंझोडा।

नितेश:  उठ क्या हुआ? बता कहां था तू?

एकदम से उसकी नजर निखिल के हाथ पर पड़ी 

नितेश (चिल्लाते हुए):  तेरा हाथ कैसे जला?
मयंक:  क्या हो गया हाथ कैसे जल गया?
निखिल : अरे वह ऐसे ही


नितेश का मन कुछ घबराया और कुछ संकेत हुआ उसे याद था कि उस भेड़िए पर एक लड़के ने आग से वार किया था जो कि भेड़िया के हाथ पर लगा था और उसके बाद उसने उस लड़के का सीना फाड़ कर दिल निकाल दिया था।

नितेश (कड़कते हुए):  निखिल साफ-साफ बोल कहां गया था? क्या है यह सब?

करते-करते बात काफी आगे बढ़ गई।

निखिल (चढ़ते हुए) हां मैं नहीं हूं आम इंसान।
नितेश : तो कौन है तू?
निखिल :  बता दूंगा तो दोस्ती नहीं रखेगा तो मेरे।
नितेश : इतनी हल्की दोस्ती नहीं है मेरी बोल कौन है।
निखिल : तो सुन उस पहाड़ी के पीछे नहीं था नहीं था जिसमें उन लड़कों को मारा।

अमानव ( स १ - एपिसोड 4) - शैतानो का आमुख

नितेश (चौकते व डरते हुए):  क्याssssss.....
निखिल डर मत मैं अपनों को नुकसान नहीं पहुंचाता मैं गलत लोगों को ही सजा देता हूं जैसे कि वह लड़के बेचारे छोटे बच्चे को मार रहे थे पूर्णिमा की रात है तू चांद होने के कारण मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।

नितेश : पर यह सब कब से कैसे?
निखिल : प्लीज  अभी नहीं बताना चाहता।

नितेश ने मजाक की ओर देखा मयंक की आंखें बहुत बेखौफ थी नितेश काफी बेचैन था तभी......

निखिल : और हां मयंक भी.....
नितेश (फिर चौका): क्याssssss...
मयंक हां मनाने के जन्मदिन वाले दिन जब मैं जल्दी निकला था उस रात में कुछ लोगों को सजा देने के लिए निकला था मैं उसी कूड़े घर के पास पहुंचा था तभी मैंने देखा कि मेरे से पहले कोई वहां लोगों को पकड़ शरीर को चीर फाड़ रहा था हमने एक दूसरे को देखा हम थोड़ा लड़े भी शायद हम लड़े अपने अस्तित्व के लिए हम काफी देर तक लड़े हमें ध्यान नहीं था एकदम सुबह हो गई हम अपने असली रूप में आए तो हमने एक दूसरे को देखा हम एक हैं इसलिए हमने सारे गिले-शिकवे मिटाकर दोस्ती कर ली है।

नितेश: तुम दोनों इंसान भेड़िए हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा ।

निखिल : तू चिंता मत कर हम तुझे कभी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे बस यह राज अपने तक रखना।

नितेश : मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा पर मैं हैवानो का दोस्त हूं मुझे विश्वास नहीं।

मयंक:  सुन हम लोग हैवान नहीं है बस उन लोगों के दुश्मन हैं जो गलत काम करते हैं।

 दरवाजा खटकता है: 

विपुल :जल्दी सामान बांधो,हमें यहां से निकलना है।

तीनों : ठीक है।

उधर भारत में रात के 2:00 बजे फोन बजता है: 

इ. राजेश: हैलो
संग्राम सिंह : जय हिंद सर
इ. राजेश: जय हिंद संग्राम बोलो।
संग्राम सिंह:  सर नेपाल पुलिस से पता चला वहां कुछ भारतीय लड़के मारे गए हैं। मैंने फोटो मंगाए हैं दिलचस्प बात यह है कि उन्हें लड़कों लड़कों को भी उसी तरह से मारा गया है जैसे कुछ समय से यहां लोगों को मारा जा रहा है।

इ. राजेश : क्या......  वहां भी
संग्राम सिंह: सर हमें चलना पड़ेगा आप कमिश्नर सर से अनुमति ले लीजिए।
इंस्पेक्टर राजेश:  ठीक है तुम तैयारी करो।

अगले दिन दोनों लोग नेपाल की ओर चलते हैं वहां पहुंचकर: 

संग्राम सिंह हेलो इंस्पेक्टर चितरु आपसे ही बात हुई थी मैं संग्राम सिंह भारतीय पुलिस से।

इंस्पेक्टर चितरु:  हां संग्राम जी।
संग्राम : यह मेरे सीनियर इंस्पेक्टर राजेश है।

इंस्पेक्टर चितरू व  इंस्पेक्टर राजेश हाथ मिलाते हैं।

इ.  चितरू:  आइए घटनास्थल पर चलते हैं।

घटनास्थल पर:

अमानव ( स १ - एपिसोड 4) - शैतानो का आमुख

इंस्पेक्टर चितरु: यह देखिए कैसी बुरी तरह से मारा है पूरे शरीर को फाड़ दिया गया है।
डॉ राजेश:  किसने किया किसी ने कुछ बयान दिया

 इंस्पेक्टर चित्तरू :  यहां कोई कुछ नहीं बता रहा और हां शरीर में पोस्टमार्टम लाइक भी कुछ नहीं है क्योंकि सारे आंतरिक अंग लगभग निकाल चुके हैं जानवर की तरह मारा है किसी ने।

इंस्पेक्टर राजेश व संग्राम सिंह चुप रहे कागजी कार्रवाई के करके दोनों भारत की ओर निकल पड़े।

 रास्ते में: 
संग्राम सिंह : क्या सोच रहे हैं सर? 
इंस्पेक्टर राजेश : सोच रहा हूं कि कातिल कोई आम इंसान नहीं है और यह अकेला भी नहीं है पर यह लोग कौन हैं दिमाग काम नहीं कर रहा।

संग्राम सिंह : हां सर बात तो सही है पर आपने ध्यान दिया इस्पेक्टर चितरु ने बोला था कि यह सारे लोग शराब पिए हुए थे। और शराब के लिए किसी छोटे बच्चे को मार रहे थे।


इ. राजेश : भारत की लाशों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई?
संग्राम : परसों तक आ जाएगी सर।

उधर: 

सभी बाइक राइड करके वापस आ चुके थे नितेश अंदर से काफी उलझा और परेशान था ।वह बहुत शांत हुआ था। वह रात को अपने कमरे में चुप बैठा था अचानक उठा अलमारी से डायरी निकाल कर कुछ लिखने लगा।


क्रमशः…....

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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 09:29 PM

बहुत बढ़िया कहानी।

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Zaifi khan

30-Nov-2021 07:44 PM

خوب

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Ammar khan

30-Nov-2021 12:32 PM

Intresting

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